गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे प्रदर्शनकारी किसानों को हटाने का निर्देश: भारी पुलिसबल तैनात:

श्रोत: ग्रामीण टुडे न्यूज़, 24X7 वेब पोर्टल, वेब टीम
नई दिल्लीः गणतंत्र दिवस पर किसानो की ट्रैक्टर रेली के दौरान दिल्ली में हुई किसान हिंसा के बाद यूपी सरकार भी सख्त नजर आ रही है: यूपी सरकार ने गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे प्रदर्शनकारी किसानों को हटाने का निर्देश दे दिया है, जहां भारी पुलिसबल तैनात कर दिया गया है: बॉर्डर पर आईजी, डीएम और एसएसपी भी मौके पर पहुंच गए हैं, कयास लगाए जा रहे हैं कि यूपी सरकार के निर्देश के बाद किसानों को हटाया जा सकता है, गाजीपुर बॉर्डर दिल्ली और यूपी के बीच स्थित है, जहां चप्पे-चप्पे पर पुलिसबल तैनात कर दिया गया है:
वहीं, किसान नेता युद्धवीर सिंह ने बड़ा दिया है, उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन जारी रहेगा अगर पुलिस गिरफ्तारी करना चाहे तो कर ले, लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे:
नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को लेकर देर रात गाजीपुर बॉर्डर में हंगामे की स्थिति बन गई. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का आरोप है कि पुलिस ने रात को इनके कैंप की बिजली काट दी. कुछ किसान संगठनों द्वारा प्रदर्शन वापस लेने पर टिकैत ने कहा कि गाजीपुर बॉर्डर पर बिजली कटते ही वो लोग भी गायब हो गए….
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश मंच से कहा कि सुप्रीम कोर्ट जांच कराए कि लाल किले पर कौन थे? उनकी 2 महीने की कॉल रिकॉर्डिंग की जांच की जाए और उन्होंने कहा कि मैं सरेंडर नहीं करूंगा, में किसी भी हिंसा के लिए जिम्मेदार नहीं हु.
जानने योग्य है कि 26 जनवरी को दिल्ली के लाल किले में जो हुआ उसे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ने देखा है। किसान ट्रैक्टर रैली की आड़ में उपद्रवियों ने जमकर बवाल किया। आलम ये था कि बवाल में 300 से भी ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए थे, सूत्रों द्वारा मिली जानकारी मुताबित चौतरफा किरकिरी होती देख कई किसान नेताओं ने आंदोलन का साथ छोड़ दिया हे वहीं पुलिस भी लगातार बॉर्डरस पर लोगों को जगह खाली करने को कह रही है।
गाजीपुर बॉर्डर: प्रदर्शनकारी किसानों को आज रात तक जगह खाली करने के आदेश, टिकैत- ‘नहीं करेंगे खाली, गोली चलाए पुलिस’
योगेंद्र यादव और दर्शनपाल समेत इन 37 किसान नेताओं के खिलाफ कार्रवाई; लगी हत्या की कोशिश, डकैती जैसी गंभीर धाराएं:
राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद दो किसान संगठनों ने आंदोलन ख़त्म करने की घोषणा की है.