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University of Queensland की इस नई रिसर्च में बताया कि जंगली सूअर आनेवाले वक्त में धरती के लिए कितना बड़ा खतरा:

श्रोत: ग्रामीण टुडे न्यूज़, 24×7 वेब पोर्टल

University of Queensland की इस नई रिसर्च (Research) में बताया गया है कि जंगली सूअर (Wild Pigs) आने वाले वक्त में धरती के लिए कितना बड़ा खतरा (Danger For Earth) बन सकते हैं.

ये साल भर में इतना कार्बनडाई ऑक्साइड (carbon dioxide) छोड़ते हैं, जिसकी बराबरी 11 लाख कारें मिलकर भी नहीं कर सकतीं.

घरेलू सुअर का पूर्वज जंगली सूअर है, जो सबसे अधिक और व्यापक बड़े स्तनधारियों में से एक है। इसके कई उप-प्रजातियां सभी के मूल निवासी हैं, लेकिन महाद्वीपीय यूरेशिया और इसके द्वीपों और अफ्रीका के कठोर जलवायु, आयरलैंड और भारत से जापान और उत्तर में साइबेरिया तक। इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस के कई द्वीपों पर लंबे समय से अन्य सूअरों से अलग-थलग, सूअर कई अलग-अलग प्रजातियों में विकसित हुए हैं, जिनमें जंगली सूअर, दाढ़ी वाले सूअर और मस्से वाले सुअर शामिल हैं। मानवों ने ऑस्ट्रेलिया, उत्तर और दक्षिण अमेरिका और कई द्वीपों में सूअरों को पेश किया है, या तो गलती से घरेलू सूअरों से बच गए हैं, जो जंगली हो गए हैंI

 

हाल ही में University of Queensland की इस नई रिसर्च (Research) में बताया गया है कि जंगली सूअर (Wild Pigs) आने वाले वक्त में धरती के लिए कितना बड़ा खतरा (Danger For Earth) बन सकते हैं. ये साल भर में इतना कार्बनडाई ऑक्साइड (carbon dioxide) छोड़ते हैं, जिसकी बराबरी 11 लाख कारें मिलकर भी नहीं कर सकतीं.

स्टडी में रिसर्चर्स का दावा है कि जंगली सूअर हर साल वातावरण में करीब 49 लाख मीट्रिक टन की कार्बन डाइऑक्साइड गैस छोड़ते हैं. के कार्बन एमिशन करीब 11 लाख कारों के कार्बन एमिशन के बराबर है. इस स्टडी में जंगली सूअरों की आबादी वाले करीब 10 हजार इलाकों पर रिसर्च किया गया है, जो दुनिया के 5 महाद्वीपों में मौजूद हैं.

क्लायमेट चेंज  की वजह बन रहे जंगली सूअर: 
स्टडी में पाया गया है कि इन जंगली सूअरों के चलते मिट्टी पर भी असर पड़ रहा है और ये जलवायु परिवर्तन में भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं. रिसर्च में कहा गया है कि इनकी जनसंख्या पर काम करने की ज़रूरत है वरना ये आने वाले वक्त में धरती के लिए खतरा बन सकते हैं. स्टडी में उन्हें ज़मीन जोतने के लिए इस्तेमाल होने वाले ट्रैक्टर्स की तरह माना गया है, जो खाने की तलाश में ज़मीन को खोद रहे हैं. स्टडी के लेखन क्रिस्टोफर ओ ब्रायन (Christopher O’Bryan) के मुताबिक ज़मीन को खोदने से कार्बन रिलीज़ होता है, क्योंकि मिट्टी में वातावरण की तुलना में ज्यादा कार्बन होता है.

ज़मीन को खोदकर कार्बन बाहर ला रहे हैं जंगली सूअर:
रिसर्चर्स के मुताबिक जंगली सूअर करीब 36 हजार से 1 लाख 24 हजार वर्ग किलोमीटर के इलाके को खोद रहे हैं. जहां ये रहते हैं, वहां उन्होंने न सिर्फ मिट्टी को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि कार्बन एमिशन से लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं. अगर ये सूअर ज्यादा कार्बन सॉइल वाली जगहों पर पहुंचे तो ये ग्रीनहाउस गैस एमिशन के भी कारण बन सकते हैं. Global Change Biology नाम के जर्नल में ये स्टडी प्रकाशित हुई है. स्टडी में साफ तौर पर कहा गया है कि इस समस्या पर ध्यान देना ज़रूरी है, क्योंकि ये हमारी ही बनाई हुई है.

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